Saturday, May 23, 2015

Mehfil- Royal (Nawabi) Urdu Sher, 2 Liners, Shayri, Kavita, Ghazal, Shayri Collection in Hindi Font Part-15

Mehfil- Royal (Nawabi) Urdu Sher, 2 Liners, Shayri, Kavita, Ghazal, Shayri Collection in Hindi Font Part-15

नही थे पैसे एक दिन पीने के लिए तो यूं किया ,.,
डूबोई उनकी तस्वीर पानी में, और घूंट घूंट पी लिया,.,!!!



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मैंने मुल्कों की तरह लोगों के दिल जीते हैं...
ये हुकूमत किसी तलवार की मोहताज नही….!!



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पर तेरे नाम पे तलवार उठाई किसने,
बात जो बिगड़ी हुई थी बनाई किसने..,!!!




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टल ना सकते गर जंग में अड़ जाते थे,
पाँव शेरों के भी मैदां से उखड़ जाते थे.,.,!!!




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क्या क्या ख्याल-ओ-वहम निगाहों पे छा गये ।
जी धक से हो गया, ये सुना जब वो आ गये,.,!!!




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शाम कबकी ढल चुकी है इन्तज़ार में…
अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बहुत है…!!!
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इस कदर मिला मुझे, कि मुझमें ही वो खो गया।
अब मेरी तनहाइयों में, वो भी शामिल हो गया।।




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तारीख़ हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है ,.,
तब दौर पत्थरों का था अब लोग पत्थरों के ,.,!!!



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हर सज़ा छोटी है तुम्हारी इन कातिल निगाहों के लिए,
कत्ल भी तो हज़ारों का तुम हर रोज़ करते हो,.,!!!



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क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के...
कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के...!!!



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हम मरेगें भी तो उस अंदाज से,.,
जिस अंदाज में लोग जीने को भी तरसते है,.,!!!



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हम भी बाशिंदे हैं तेरी आँखों के समंदर के।
ईसीलिये घबराते हैं तेरे अश्कों के बह जाने से।।



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बदनाम मे भी नाम है
और यह तो बेमतलब का इल्ज़ाम है,.,!!!




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इतना भी करम उनका कोई कम तो नहीं है ,.,
गम देके वो पूछे हैं कोई गम तो नहीं हैं ,.,!!

चल मान लिया तेरा कोई दोष नहीं था ,.,
हालाँ की दलीलों में तेरी दम तो नहीं हैं ,.,!!



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लफ़्ज़ों को यूं कम ना आंकिये साहब ..
चंद जो इक्कठे हो जाएँ तो शेर हो जाते हैं,.,!!!



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तू अचानक मिल गई तो कैसे पहचानुंगा मैं,
ऐ खुशी.. तू अपनी एक तस्वीर भेज दे....!!!!



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सड़क बहुत शोर करती है
खामोशी फुटपाथ पर डेरा डाले रहती है,.,!!!!




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उस शख़्स को बिछड़ने का सलीका भी नहीं,
जाते हुए खुद को मेरे पास छोड़ गया,.,!!!



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घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके चुपके कर देती थी जाने कब तुरपाई अम्मा !!



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बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी....
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है.,.,!!!



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रियासत तो आती जाती रेहतती हे मगर,.,
बादशाही करना तो लोग हमसे सिखते हे,.,!!!!



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बहाना मिल न जाये बिजलियों को टुट पडने का
कलेजा कांपता है आशियां को आशियां कहते,.,!!!



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किसे परवाह है बिजलियों के गिरने की।
खाक होने को जब आशियाना ही न रहा।।



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मै... मै हूँ...तुम तुम हो...और दुनिया खूबसूरत है
अब बताओ कि क्या.....किसी और की जरूरत है..!!!



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मैं दुनिया के जलने का इंतजाम कर आया,
तू ही इश्क मेरा , ये खुले आम कह आया,.,!!!



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मै आ रहा हूँ , इश्क का सामान रख लेना.,.,
कमरे मे छुपा कर जहर का जाम रख लेना.,.,!!!!



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कुछ अलग सी है जलन
मेरी और तुम्हारी
तुम जले
जलाकर ख़ाक कर गये
मै जला
जहां रौशन कर गया,.,!!



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या तो है देखने में नजर का कसुर
या कुछ बदल गया है जमाने का हाल,.,!!



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घर मेरा जलता रहा,जंगल की तरह
लोग देखा किये,बारुद के बादल की तरह,.,!!




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हाथ फैलाए खड़े थे दोनों ही फुटपाथ पर
चीथड़ों में एक था और दूसरा वर्दी में था.,.,!!!



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दिल से ही हुक्म लेते है दिल से ही सबक लेते है
आशिक कभी उस्तादो की माना नही करते.... !!



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जलना आदत है उनकी..... पिघलना मेरी कमजोरी..!!


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तेरी यादोँ के 'नशे' मेँ, अब 'चूर'हो रहा हूँ...
लिखता हूँ 'तुम्हेँ' और,'मशहूर' हो रहा हूँ...!!



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इतना आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाता हूँ ,
शायद तुमने ही पन्ने छोड़ छोड़ कर पढ़ा है मुझे ,.,!!



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हवस ने पक्के मकान , बना लिये हैं जिस्मों में .
सच्ची मुहब्बत किराये की झोपडी में , बीमार पड़ी है आज भी.!!



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क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के...
कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के...!!!


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हैसियत की बात ना कर, तेरी जेब से बड़ा मेरा दिल है..!!!


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तुम बिन मेरी जात अधूरी, जैसे कोई बात अधूरी ,
हिज्र के सारे दिन पूरे, लेकिन है हर रात अधूरी,.,!!!



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कोहरे की चादर बिछा कर वो आसमान ओढ़ लेते है
ओस की बूंद से प्यास बुझाकर गरीब फुटपाथ पर सो लेते है .,.!!!


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मंज़िल की तलाश में सड़कों को रौंद रहे हैं,
दो टके की नौकरी में जीवन को ढूंढ रहे हैं,.,!!!


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जो पर्दे में खुद को छुपाये हुए है ,
वही तो कयामत उठाये हुए है .!!!!



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हुस्न के तेवर नुकीले हो गए इश्क़ के सब जोड़ ढीले हो गए
हो गए कुछ लेट हम इज़हार में और उनके हाथ पीले हो गए,.,!!



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चलो दुश्मन से मुलाकात करे
नए साल में नयी बात करें
मज़हब के नाम पे क्यों दंगा फसाद
यही सवालात हर शक्श से आज करें ,.,!!!
.


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एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती मेँ उसे
वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भंवर है जिसकी
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके,.,!!!



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कौन कहता है वक़्त मरता नहीं..
हमने सालों को ख़त्म होते देखा दिसंबर में,.,!!!
 

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